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८ जेष्ठ २०८१, मंगलबार
(November 29, 2017)

‘सामाजिक उत्तरदायित्वका लागि पत्रकारिता’

संजय “टक्ला”ले जेलबाटै के-के गरे अपिल (जस्ताको त्यस्तै)

जनकपुर बंमकाण्ड र संचार उद्द्मी अरुण सिंहनिया हत्या लगायतका अभियोगमा जेलमा रहेका धनुषाका पुर्व सांसद संजय साह “टक्ला” ले जेलबाटै एक अपिल जारी गरेका छन् ।

समाजिक संजालमा उनको नामबाट बनाइएको फेसबुक पेजमा उनको नाममा अपिल जारी गरिएको छ । अपिल हिन्दीमा लेखिएको छ ।

पढ्नुस, उक्त अपिल जस्ताको त्यस्तै :

जेल से संजय साह की अपील

दुश्मनो ने तो दुश्मनी की पर
राजेन्द्र महतो ने सवसे बड़ी गद्दारी की

आदरणीय न्याय प्रेमी जन समुदाय

मधेश मुक्ति संग्राम में मधेशी जनता ने जो वीरता दिखाई है, उसे मैं सलाम करता हूँ । मैंं जेल की कालकोठरी से हर सुबह सृष्टि की सर्वोत्कृष्ट रचना अपने मधेश को देखता हूँ । मैंने मधेशी जनता की मुक्ति के लिए एक सम्पूर्ण क्रान्ति की रणनीति तैयार की है ,रास्ता थोडा अलग है पर बैज्ञानिक है । इस मुक्ति मार्ग के कुछ कदम आलोचित हो सकते हैं पर पूर्णत गलत नहीं हो सकते हैं । पहला, दूसरा और तीसरे मधेश आन्दोलन के मुद्दाऔं को साथ लेकर आत्म निर्णय के अधिकार सहित का समग्र मधेश एक प्रदेश लेकर रहूँगा । इसी तरह स्रोत साधन और अधिकार में बराबरी की हिस्सेदारी लेकर रहुँगा ।

सभी को मालूम है कि मुझ पर झूठा मुकदमा लगाया गया है । फिर भी मधेश के प्रति जो मेरी आस्था है उसकी लडाई मे मैं मरते दम तक लडता रहूँगा । मेरे लहु में मधेशवाद है इसिलिए मैं विचलित नही हूँ । मधेश विरोधी राज्य सत्ता ने मेरे सर सम्पति पर कब्जा किया हो, घर परिवारको लाख दुख दिया हो , मुझे कालकोठली मे डाल दिया हो ,पर मैं हर जुलुम को माँ जानकी के आशिर्वाद से सहता रहा हूँ । मैं मधेशवादी को आगे बढाने के लिए फाँसी के फन्देको भी हँसते हँसते चुम लुँगा ।

अभी चुनावी माहौल है । जहाँ राजेन्द्र महतो जैसा बहुरुपिया जनकपुर मे आया है । अपने हीं दुस्कर्मो से खोया हुआ शान शौकत फिर से पाने महतो जनकपुर आया है । उसने कैसे सोच लिया कि जनकपुर की भूमि बंजर और बांझ हो गई है । यहाँ की माताओं ने अन्यायी और अत्याचारियों को दण्डित करने बाले अनेक वीर पुत्रों को जन्म दिया है , जो निर्वाचन सहित मधेश की हरेक लडाई मे सक्षम है ।

स्वार्थ से प्रेरित होकर मेरी राजनीतिक हत्या करने बाला और शहीदों की लाश पर राजनीति की रोटी सेकने बाले महतो को जनकपुर की जनता जरुर सबक सिखलाएगी । उसे कभी माफ नहीं करेगी । जनकपुरवासी के रग रग में रहे जनकपुरियापन महतो को खदेर कर भगाएगी ।

मधेश आन्दोलन को सत्ता का सिढ़ी समझने वाला, अपनी पत्नी, भाई भतीजा, बेटी, दामाद के लिए राजनीति करने वाले महतो ने सिर्फ मेरा हीं राजनीतिक हत्या करने का दुष्प्रयास नहीं किया है वरन अनेक क्रान्तिकारी युवा नेताओं की राजनीतिक भविष्य के साथ खेलवाड़ किया है ।

सर्लाहीवासियोंं को उसने एक बार ठग लिया है पर दूसरी वार नहीं ठग सकेगा इसलिए वो जनकपुर आया है ।

जव मुझे सबसे ज्यादा आवश्यकता सहयोग की थी तव महतो ने मुझे पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया और कहा कि संजय साह की जिम्मेदारी पार्टी नहीं लेगी । इसका कारण था कि महतो ही अपना बनकर मेरे पीठ मे छुरा घोपा था । कोइ पराया मुझे पीड़ा दे तो दर्द नही होता पर अपना दे तो बुहत तकलिफ होती है । दिल्ली से जनकपुर मैं आने हीं बाला था कि भारतीय पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया । मेरा मोबाइल नम्बर भारतीय पुलिस को देकर मुझे महतो ने ही गिरफ्तार करबाया । मैने वि.सं २०७० बैशाख १८ गते सुवह ९ बजे महतो को फोन करके बताया था कि मंै जनकपुर आकर अदालत में हाजिर होने बाला हँु । आप पार्टी कार्यकर्ता के साथ जनकपुर आकर मदद करिए । परन्तु उसके दूसरे दिन शाम को साढ़े पाँच बजे मुझे पकड़वाया ।

मेरी पत्नी और परिवार के लोगों ने उससे मिलना चाहा लेकिन वह मिलने से इन्कार करते रहा । मेरे उपर लगाए गए मुकदमा मे नार्को और पोलिग्राफ टेस्ट सहित बैज्ञानिक अनुसन्धान की माग करते हुँए किए गए अनसन पर महतो ने पुलिस लगवा कर अनसन को भंग करवाया । वह चाहता था कि मैं जेल में सडता रहूँ और वो मेरे निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा कर ले । हर नेता के लिए उसका निर्वाचन क्षेत्र अपने बच्चे से भी प्यारा होता है ।

आज मुझे टिकट नहीं देकर चुपके से जनकपुर से उसका चुनाव लडना इस बात को साबित करता है कि यह सब उसी का रचा हुआ षड्यन्त्र था । मैं राज्य सत्ता के दमन का शिकार होता रहा और महतो जनकपुर से चुनाव लडकर मन्त्री बनने ख्वाव देखता रहा । मेरी सम्पति पर रोक लगा दी गयी । मेरे मासुम बच्चें और पत्नी से उसका छत छिन लिया ।

वो सत्ता की लालच में मधेशियों का बली चढाते रहे और मरने के लिए मजबूर करते रहें । शहीदों की खुन से रंग कर कुर्सी पर बैठते रहें ? अपने पत्नी और बच्चों को माननीय बनाते रहें ? और अभी जनकपुरधाम मे आकर मधेशवाद की वात करते हंै । आप लोग पुछिए कि जब मधेश के हजरो युवाओं को झुठे मुद्दाें मे जेल मे डाला गया , सैकडों युवाओ की गैर न्यायिक हत्या की गई , मधेश राजनीति मे तरंग लाने बाले डा.सीके राउत पर अमानविय व्यवहार किया गया तव आप कहाँ थे ? आप के आन्दोलनकारी क्रान्तिकारी नेताओं पर मुद्दा लगया गया, जेल मे डाला गया तव आपलोगों ने एक बार भी आवाज नहीं उठाया । तव आप कहाँ थे ? पुछिए महतो से ।
महतो अभी षड्यन्त्र के तहत मेरे नेताओं और कार्यकर्ताओं को भ्रम मे डालने का प्रयास कर रहा है । जनकपुर के जनता की मधेशवादी भावना को बहुरुपिया महतो फायदा उठाना चाहता है । पर जनकपुर के युवाओं के लहु में मधेशवादी है वो देखावटी मधेशवादी के पीछे नहीं लगेंगे और महतो को सवक सिखाएंगे ।

दोस्तों, आपको याद होगा जव मन्त्रिपरिषद् से दाउरा सुरवाल को राष्ट्रीय पोशाक बनाने की घोषणा की गई तो मैने मन्त्री पद का त्याग कर दिया था । राजेन्द्र महतो भी उसी मन्त्रिपरिषद मे था । इतना ही नहीं मधेश आन्दोलन के प्रथम सहिद रमेश महतो के हत्यारे को भी इन्ही लोगो ने सम्मान किया । मुझ में एक जुनुन था मधेश मुक्ति का, मधेश भक्ति का । जब सदन में मधेश की बातों को सुना नहीं गया तो मैने प्रतीकात्मक विरोध करते हुए माइक को तोड दिया था । जिसे देश की सबसे बडी अदालत ने सही करार दिया था । कुछ समय के लिए मन्त्री मंै बना तो सब से ज्यादा बजट मैने धनुषा के लिए दिया ।

महतो राजनीतिक व्यापारी और नौटंकीबाज हैं । उन्होंने शहीद के नाम पर पैसा कमया है अ‍ैर सिर्फ अपने परिवार को खुशहाल किया है । दोस्तों आप पुछें महतो से कि मधेश के शहीदों के परिवारों से वह कब मिला ? उनके बिलखते छोटेछोटे बच्चे, रोती हुई माँ बहनों और सिन्दूर उजड़ गई महिलाओं के तकलिफों को उसने कैसे बांटा ? उसके पास कोई उत्तर नहीं होगा । हाँ, आज वोट मांगने लिए उसे वही शहीद परिवार के लोग चाहिए ।

हाँ, मै स्वीकार करता हूँ कि हम जनकपुरबासियों के बीच भी कई तरह के मतभेद और अविश्वास रहें हैं । पर क्या इसका फायदा कोई बहरिया गद्दार लेकर चला जाए ?

महतो का जनकपुर पर कब्जा करने कीे बदनियत नहीं रहती तो लक्ष्मण थारु की तरह मुझे जेल मे रहते हुए भी टिकट देता । लेकिन नहीं दिया । जनकपुर की जनता की आखों मे धूल झोंक कर वह सत्ता की यात्रा .में निकल पडा । वह मुझ पर यह आरोप लगाता है कि मैं जेल से निकलने के लिए ऐसी बातें कर रहा हूँ । तो उसे समझना चाहिए कि क्रान्तिकारी जेल से नहीं डरते हंै । मधेश मुक्ति के लिए फाँसी चढ जाउँगा और आह भी नही भरुँगा ।

मैं संविधान बनने के वक्त संविधानसभा में नहीं था । नहीं तो यह दिन देखना ही नहीं पडता । मैं महतो की तरह आन्दोलन का भगोडा नहीं होता । आर की पार की लडाईं हो गयी रहती । फिर भी मैं मधेश आन्दोलन को जारी रखूँगा और जनकपुरधाम की आन मान शान पर कोइ आँच नहीं आने दूंंगा ।
अन्तमे दुश्मन ही सही अपने धरती पुत्र को जीतावे ।

संजय साह

संयोजक
मधेश क्रान्ति फोरम

प्रकाशित मिति: Nov 29, 2017

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